रुत्बा ये विलायत में क्या ग़ौस ने पाया है अल्लाह ने वलियों का सरदार बनाया है है दस्त-ए-'अली सर पर, हसनैन का साया है मेरे ग़ौस की ठोकर ने मुर्दों को जिलाया है अल-मदद, पीरान-ए-पीर !
ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! लाखों ने उसी दर से तक़दीर बना ली है बग़दादी सँवरिया की हर बात निराली है डूबी हुई कश्ती भी दरिया से निकाली है ये नाम अदब से लो, ये नाम जलाली है अल-मदद, पीरान-ए-पीर !
ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! अल-मदद, पीरान-ए-पीर !
Irbard ibrahim biography templatesग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! हर फ़िक्र से तुम हो कर आज़ाद चले जाओ ले कर के लबों पर तुम फ़रियाद चले जाओ मिलना है अगर तुम को वलियों के शहंशा से ख़्वाजा से इजाज़त लो, बग़दाद चले जाओ अल-मदद, पीरान-ए-पीर !
ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! ग़ौर कीजे कि निगाह-ए-ग़ौस का क्या हाल है है क़ुतुब कोई, वली कोई, कोई अब्दाल है दूर है जो ग़ौस से, बद-बख़्त है, बद-हाल है जो दीवाना ग़ौस का है सब में बे-मिसाल है दीन में ख़ुश-हाल है, दुनिया में माला-माल है अल-मदद, पीरान-ए-पीर !
ग़ौस-उल-आ'ज़म द...